दूर रहकर भी कितने पास लगते हो तुम
पास होकर दिलकेदूर फिर भी क्यों लगते हो तुम?
साथ होकर भी मेरे क्यों जुदा से लगते हो तुम?
खामोश से रहकर भी सब कुछ कैसे कहते हो तुम?
इस दर्द की दवा क्या हो
की फासले मिट जाए पलभर में
इन दूरियों का अंत अब हो
की फासलों की दीवार टूट जाये एक पलमें
सांसों को सुकून तब मिले
की जिंदगी तुझमें सिमट जाए, इस दीवानगी में
अन्य ह्रदयस्पर्शी कविताएं:
ट्विटर: @Chaitanyapuja_
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
चैतन्यपूजा मे आपके सुंदर और पवित्र शब्दपुष्प.