महाशिवरात्रि के पावन पर्व निमित्त सदा योगसाधना में रमे भगवान शिव को समर्पित प्रार्थना।
संत ज्ञानेश्वर ने लिखा है कि आज भी भगवान शिव स्वयं भगवान होकर भी साधना पथ पर चल रहे हैं।
मनमंदिर में बसे प्रभु तुम
अब कौनसे मंदिर मैं जाऊं
बिल्वपत्र नहीं पूजा में
भावपुष्प पूजा में लाऊ
अब कौनसे मंदिर मैं जाऊं
बिल्वपत्र नहीं पूजा में
भावपुष्प पूजा में लाऊ
तुम बैरागी, बैरागदाता
शिव तुम मंगलकल्याणदाता
भस्म रमाए, ध्यान लगाए
योगियों के योगी महायोगप्रदाता
पूजा पाठ मन्त्र ध्यान जप तप
सब छूट गया मेरा
अब किस मंदिर मैं जाऊं
योगाग्नि से मन तपकर
योगमंदिर में लीन हुआ
मनमंदिर में बसे प्रभु तुम
अब कौनसे मंदिर मैं जाऊं