८ मार्च को मनाए जा रहे आंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज का आलेख। फेमिनिस्म और फेमिनिस्ट व्यक्तियों की अक्सर आलोचना होती है। फेमिनिस्म का हिंदी और मराठी अर्थ नारीवाद किया जाता है। फेमिनिस्म को समाज में किस नजरिए देखा जाता है वास्तव में फेमिनिस्म क्या है इस विषय पर विचारमंथन।
फेमिनिस्म क्या केवल नारीवाद है?
फेमिनिस्म का शब्दकोशीय अर्थ है – स्त्री और पुरुष दोनों को समान अधिकार, समान अवसर होने चाहिए इस विचार का पुरस्कार करना।
या स्त्रियों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए काम करना और फेमिनिस्ट अर्थात महिलाओं के हकों के लिए कार्य करनेवाली व्यक्ति
फेमिनिस्ट अर्थात फेमिनिस्म का पुरस्कार करनेवाली व्यक्ति।
अनुवाद में जब अंग्रेजी शब्दों के लिए हिंदी शब्द प्रयोग में लाये जाते हैं, तब एक बात नजर आती है कि काफी बार शब्दों के उपरसे दिखनवाले अर्थ को इस्तेमाल किया गया है। पर अनुवाद और शब्दों के प्रयोग में गड़बड़ी एक शब्द के ही नहीं, पर अर्थों के परिभाषात्मक और पूरे आलेख के सन्दर्भ को बदल कर रख सकती है। इसके कारण अंग्रेजी का हिंदी अनुवाद शायद मूल अर्थ व्यक्त करने में सफल नहीं हो पाता। अनुवाद केवल भाषांतर ना होकर रूपान्तर होता है। तब ये आवश्यक होता है कि अनुवादित शब्दों की परिभाषा मूल भाषा शब्द का अर्थ पूरी तरह से व्यक्त पाए। शब्द पाठकों के नजरिए को और इसलिए समाज को प्रभावित करते हैं इसलिए शब्दों के प्रयोग और अनुवाद में हम सबको बहुत सावधान रहने की आवश्यकता है।
फेमिनिस्म की ओर देखने का नजरिया और वास्तविक अर्थ में फेमिनिस्म क्या है?
फेमिनिस्म के शब्दकोशीय अर्थों से नारीवाद बिलकुल भी प्रतीत नहीं होता. फेमिनिस्ट शब्द फेमिनाइन शब्द जैसा ही दीखता है, इसलिए फेमिनिस्ट शब्द को पढ़ते ही मनमें आ सकता है, नारीवादी या स्त्रीवादी। नारीवाद का सामान्य अर्थ स्त्रीवर्चस्ववादी ‘समझा’ जाता है इसलिए नारीवाद या तो नफरत का विषय बनता है या मजाक का। हालाँकि नारीवाद और नारीवादी शब्द नारियों के हकों के सन्दर्भ में प्रयोग किये जाते हैं, इसलिए ये शब्द पूरी तरह से गलत तो नहीं पर इन्ही शब्दों को समाज में किस तरह से समझा जाता है या चिंता का विषय है।
नारीवादी या फेमिनिस्ट का अर्थ अक्सर केवल स्त्रियों के ही अधिकारों का समर्थन करनेवाली व्यक्ति जो की पुरुषों के अधिकारों की अनदेखी का समर्थन करती हो या पुरुषों के अधिकारों के हनन का भी समर्थन करती हो ऐसा लिया जाता है। फेमिनिस्ट लोगों के प्रति क्रोध और द्वेष का ये एक कारण समाज में हो सकता है।
पुरुषों के अधिकारों की चर्चा महिलाओं के अधिकारों की तुलना में अधिक नहीं होती क्योंकि दुनियाभर में पुरुषों का वर्चस्व लगभग हर क्षेत्र में स्वीकृत है। इसलिए पुरुषों पर अन्याय होने की सम्भावना महिलाओं की अपेक्षा कम होती है।
बहुत बड़े वर्ग को अपने नियंत्रण में रखने के आदि समाज को स्त्रियों के पुरुषों के समान अधिकार स्वीकार करना मुश्किल होता है, ये फेमिनिस्म से नफरत का एक और प्रमुख कारण लगता है। जब अवसरों की बात आती है, आप ध्यान से देखें तो नजर आएगा कि 'महिलाओं को अवसर देना', 'महिला सशक्तिकरण'इन शब्दों का प्रयोग भी पुरुषवर्चस्व ध्यान में रखकर ही किया जाता है। ‘मैंने उसे बड़ा किया’ ‘मैंने उसे अवसर दिए’ ये भावना महिला के गुणों का सम्मान करनेवाली नहीं होती, ये महिलाओं के प्रति समान भाव बिलकुल भी नहीं दर्शाती। महिलाएं योग्य हैं, समर्थ हैं, पर महिलाओं के प्रति नजरिया 'स्त्री भी पुरुषों की ही तरह मनुष्य है', ऐसा हो तो योग्यता समझ में आ सकती है।
अगर महिलाओं के प्रति भेदभाव, अन्याय, अत्याचार और शोषण बंद हो तो स्त्रियों की योग्यता चमक उठेगी।
महिला के गुणों और योग्यता को समझने के बजाए सिर्फ रूप पर अवसर देना या महिलाओं की बौद्धिक और वैचारिक योग्यता की परख रूप देखकर करना महिलाओं के लिए अपमानजनक लगता है।
पुरुषवर्चस्व को काफी परम्परावादी और आधुनिक लोग भी सहज स्वाभाविक और उचित मानते हैं, यहाँ तक की काफी स्त्रियाँ भी इसे गौरवसे स्वीकार करती हैं। पर फेमिनिस्म पुरुष वर्चस्ववाद के विरुद्ध स्त्रीवर्चस्ववाद नहीं है। फेमिनिस्म का पुरस्कार करनेवाले लोग स्त्रीवर्चस्ववादी नहीं होते ये मुद्दा समझना अत्यंत आवश्यक है। ये एक बहुत बड़ा भ्रम है जिसके कारण लोग फेमिनिस्ट लोगों से नफरत करते हैं या उनका मजाक उड़ाते हैं। फेमिनिस्म स्त्रीपुरुषसमानाधिकार मानना है। महिलाओं का पुरुषी वर्चस्व वाली दुनिया में दमन होता आया है, आज भी हो रहा है, इसलिए महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़ने की जरूरत हुई. फेमिनिस्म पुरुषों के अवसर, अस्तित्व पर आघात करने की लड़ाई नहीं है, जैसा की समझा जाता है।
दबे और अन्यायग्रस्त समूह की सशक्तिकरण के साथ ही समानता की भावना होना नैसर्गिक और स्वाभाविक लगता है। बदले की भावना अस्वाभाविक लगती है। फेमिनिस्ट व्यक्ति ये निश्चित तौर पर समझती है कि लिंगभेद, अन्याय और अत्याचार के शिकार पुरुष भी होते हैं। इसीलिए तो फेमिनिस्म की - स्त्री पुरुष समान बर्ताव, समान अधिकार की लड़ाई है।
फेमिनिस्म के लिए हिंदी शब्द क्या होना चाहिए?
फेमिनिस्ट के लिए हिंदी शब्द क्या होने चाहिए? मेरे विचार में ये शब्द है 'स्त्रीपुरूषसमतावादी'।
फेमिनिस्म या स्त्रीपुरुषसमानाधिकार के लिए क्या करना चाहिए?
महिला और पुरुष को, बेटे और बेटी को मनुष्य समझें और एक मनुष्य के दृष्टि से ही उनकी भावनाएं, विचार और अस्तित्व का सम्मान करें तो हमारे व्यवहार से स्त्री और पुरुष के प्रति अन्यायपूर्ण बर्ताव समाप्त होने लगेगा। ये दीर्घकालीन प्रक्रिया है और मुझे लगता है हर व्यक्ति ने इसके लिए अपने से आरम्भ करना चाहिए। महिला हो या पुरुष, हर वयस्क व्यक्ति को अपने निर्णय स्वतन्त्ररूपसे लेने का अधिकार है, किसी के निर्णयों को नियंत्रण की आकांक्षा से प्रभावित रखना, बद्ध रखना मनुष्य होने के अधिकार को छीनने जैसा है, चाहे नियंत्रण प्यार से भी किया गया क्यों न हो।
सार विचार:
निर्णयों का और उनपर अमल करने का स्वातंत्र्य, परस्परसम्मान, स्त्री और पुरुष दोनों को इस्तेमाल की वस्तु समझने के बजाए उनके मानवी अधिकारों को ध्यान में रखकर बर्ताव करना ये फेमिनिस्म या स्त्री पुरुष समान अधिकार की लड़ाई है और इस लड़ाई से आपत्ति होने के बजाय हर व्यक्ति ने इसमें जुड़ना चाहिए।
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