आज
के खूबसूरत फूल कृष्ण के इश्क को अर्पण हैं। कृष्ण से प्रेम वैसे तो पागलपन भी
समझा जाता है। पर इश्क पागलपन के बिना होता ही नहीं। ईश्वर
से प्रेम होने की चाहत हो और ईश्वर खुद हमसे इश्क करे इससे बड़ा सौभाग्य, इससे
बड़ा तोहफा क्या हो सकता है।
कृष्ण
ने गीता में कहा है कि भक्त मेरा जिस तरह से भजन करता है मैं भी उसी तरह से उसका
भजन करता हूँ।
जब
काफिया पोएट्री के सुझाए 'इश्क' शब्द के बारे में सोचा तो भगवान श्रीकृष्ण का
मुस्कुराता रूप आँखों के सामने आ गया।
ये पुष्प 'इश्क हकीकी' के
लिए हैं. उस सांवले विठोबा के प्रेम पर।
ये
इश्क हकीकी ऐसा है कि उसकी सुंदरता भक्तों को दीवाना बना देती है। विठोबा की
मुस्कुराती मूर्ती से मिलो तो लगता है, कहीं ये मेरा ही तो इंतजार नहीं कर रहा था। क्या
उसे भी मेरे मिलने से उतनीही ख़ुशी होती होगी, जैसे मुझे होती है?वो मुस्कुराता है तो
लगता है जैसे उसे मेरे मनका हर विचार पता हो। जैसे उसे मेरी चिंता हो और वो
मुझे दुखी नहीं देख सकता। मैं उसे याद करूँ या भूल जाऊं, पर
वो मुझे खुश देखना चाहता है। उसकी आँखों की चमक देखकर लगता है, उसे
मुझपर पूरा विश्वास है। वो दूरसे देखता है, मैं मुश्किलों में भी रास्ता कैसे बनाती हूँ। वो
हर पल साथ होता है पर हर बार बात नहीं करता. लगता है कि उसकी मुस्कराहट में ऐसा
क्या जादू है कि उसके दर्शन करते समय हम समय भूल जाते हैं, उसके
बारे में सोचते सोचते वक्त का एहसास ही नहीं रहता.
इन्सान
को जिंदगी में सबसे बड़ी जरूरत विश्वास पर बने अविचल गहरे प्रेम की होती है। मैं
ऐसी व्यक्ति नहीं हूँ, जो नियमित भगवान के मंदिर में जाए, जो
भगवान के लिए व्रत कर पाए पर वो कृष्ण तो प्रेम से ही बंधा हुआ है और एक बार प्रेम
के बन्ध में जाए तो वो कभी अपने प्रेमी भक्त से या दोस्त से दूर नहीं होता। कृष्ण
का प्रेम ऐसा होता है जिसमें भय का सम्बन्ध ही नहीं, एक ऐसा रिश्ता जो
टूटने का कभी डर ना हो, जिसकी नाराजगी की चिंता ना करनी पड़े.
मैं भक्ति की परिभाषा के लिए लिखने की कोशिश तो नहीं करती पर कृष्ण के बारे में उस इश्क हकीकी के बारे में लिखो तो उसमें सख्य भक्ति, हां वो मेरा सखा, मेरा दोस्त है, प्रेमाभक्ति - उससे प्रेम किये बिना जी नहीं सकते और आत्मनिवेदन भक्ति उसकी कृपा से ही शब्दों में आने लगती है।
मेरे मनमें अपरिपक्वता थी कि कभी कभी लगता था, मैं श्रीकृष्ण से शिकायत करूँ, मेरी जिंदगी में ही इतने दुःख क्यों? तुमने ऐसा क्यों किया? वैसे तो कर्मों की गति बड़ी गहन होती है ये तो कृष्ण ने ही कहा है। पर उनकी मुस्कुराती मनमोहक मूर्ती दिखने पर मस्तक झुक जाता हैं। वो साक्षात योगेश्वर हैं, उनसे बहस, नाराजगी और शिकायत हो ही नहीं सकती। बस इश्क और इश्क ही हो सकता है।
पहले तो आध्यात्मिक विषय पढ़कर लगता था कि ये सब कितना मुश्किल है। हम तो भगवान को बार बार भूल जाते हैं। पर अत्यंत सूक्ष्म रूपसे साधना की कृपा से, गुरुदेव की कृपा से भक्ति की ज्योत हृदय में प्रकाशित रहती है। और प्रेम का प्रकाश कभी कभी नजर ना आये पर वो हृदय में रहता ही है।
मैं भक्ति की परिभाषा के लिए लिखने की कोशिश तो नहीं करती पर कृष्ण के बारे में उस इश्क हकीकी के बारे में लिखो तो उसमें सख्य भक्ति, हां वो मेरा सखा, मेरा दोस्त है, प्रेमाभक्ति - उससे प्रेम किये बिना जी नहीं सकते और आत्मनिवेदन भक्ति उसकी कृपा से ही शब्दों में आने लगती है।
मेरे मनमें अपरिपक्वता थी कि कभी कभी लगता था, मैं श्रीकृष्ण से शिकायत करूँ, मेरी जिंदगी में ही इतने दुःख क्यों? तुमने ऐसा क्यों किया? वैसे तो कर्मों की गति बड़ी गहन होती है ये तो कृष्ण ने ही कहा है। पर उनकी मुस्कुराती मनमोहक मूर्ती दिखने पर मस्तक झुक जाता हैं। वो साक्षात योगेश्वर हैं, उनसे बहस, नाराजगी और शिकायत हो ही नहीं सकती। बस इश्क और इश्क ही हो सकता है।
पहले तो आध्यात्मिक विषय पढ़कर लगता था कि ये सब कितना मुश्किल है। हम तो भगवान को बार बार भूल जाते हैं। पर अत्यंत सूक्ष्म रूपसे साधना की कृपा से, गुरुदेव की कृपा से भक्ति की ज्योत हृदय में प्रकाशित रहती है। और प्रेम का प्रकाश कभी कभी नजर ना आये पर वो हृदय में रहता ही है।
आपके
इश्क का तोहफा जो मिला
ये जान आपमें ही मिट गई
आपके लिए ही ये जान जीने लगी
ये जान आपमें ही मिट गई
आपके लिए ही ये जान जीने लगी
~~~o~~~
एक छोटीसी ख्वाहिश थी इस रूह की
एक बार देखें आपको जी भर के
आपने तो इस रूह को ही 'इश्क' बना दिया
एक छोटीसी ख्वाहिश थी इस रूह की
एक बार देखें आपको जी भर के
आपने तो इस रूह को ही 'इश्क' बना दिया
~~~o~~~
इश्क के सामने तो लफ्ज भी हार गए
हम क्या बताएं हाल-ए-दिल
दीवानी आँखों को आप ही पढ़ लीजिए
इश्क के सामने तो लफ्ज भी हार गए
हम क्या बताएं हाल-ए-दिल
दीवानी आँखों को आप ही पढ़ लीजिए
~~~o~~~
वादा नहीं कर सकते हम इश्क का
आपके इश्क में हम जबसे मिट गए
वादा नहीं कर सकते हम इश्क का
आपके इश्क में हम जबसे मिट गए
~~~o~~~
हर
दुख दर्द की दवा हैं आप
जिंदगी
से इश्क कर बैठे हम
वो
दुआ हैं आप
~~~o~~~
बात
जब चली इश्क की
महफ़िल
आज शायरी बन गई आपकी
हम
तो यूँही सोच रहे थे आपके बारे में
शायरी
बन गई किताब इश्क की
~~~o~~~
एक
आपका इश्क है जीने के लिए बहाना
जिन्दगी तो हमसे कब की रूठ गई थी
~~~o~~~
ये
इश्क है इबादत आपकी
कबूल
करें ना करें आप
ये
जान है बस आपकी
~~~o~~~
ये
इश्क का पागलपन किया है आपके लिए
अब
अपने में ही समा लीजिए इस रूह को
जख्म
सहे नहीं जाते जो मिले हैं ज़माने से
~~~o~~~
ज़माने
ने दुःख दिए आपसे इश्क के लिए
हार
माननेवाले तो हम भी नहीं
आज
भी जी रहे हैं आपके इश्क के लिए
भगवान श्रीकृष्ण पर अब तक की कविताओं का संग्रह:
चैतन्यपूजा में कृष्णप्रेम पर और कविताएं: