आज कुछ पंक्तियाँ दोस्ती पर...
बेवजह यूँही मुस्कान खिल उठे लबों पर
जिसकी याद आने से
बेवजह यूँही सारे गम मिट जाए
जिसकी याद आने से
बेवजह यूँही आँखें देखने लगे खुबूसूरती अदृश्य हवा में
जिसकी याद आने से
...वही दोस्त होता है सच्चा अपने दिल का
क्या आपने भी इसे अनुभव किया है?
दोस्ती पर कुछ और कविताएँ:
बेवजह यूँही मुस्कान खिल उठे लबों पर
जिसकी याद आने से
बेवजह यूँही सारे गम मिट जाए
जिसकी याद आने से
बेवजह यूँही आँखें देखने लगे खुबूसूरती अदृश्य हवा में
जिसकी याद आने से
...वही दोस्त होता है सच्चा अपने दिल का
क्या आपने भी इसे अनुभव किया है?
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