गणेशोत्सव निमित्त आज की प्रस्तुति ‘मूक अश्रुओं की प्रार्थना’ है| जो आँसू मूक होते हैं, वे न तो कभी-कहीं-किसीको दिखाई देते हैं और न ही उनकी कोई आवाज होती है| अगर उन अश्रुओं को कभी आवाज मिली और उन्होंने भगवान गणेशजीसे प्रार्थना की तो वह शायद ऐसी होगी...
ढोल ताशों की गूंज में,
भक्तों की लम्बी कतारों में,
विद्युत प्रकाश की सजावट में,
दुनिया से दूर कहीं अत्याचार सह रहे,
हे गणेश, आप आवाज सुनो
मूक बह रहे अश्रुओं की ...
अन्याय से पीड़ित,
न्याय से वंचित,
दुनिया के किसी अँधेरे कोने में जी रहे
हे गणेश, आप आवाज सुनो
मूक बह रहे अश्रुओं की ...
अपने बड़े बड़े कानोंसे,
अपनी बारीक आँखोंसे,
चराचर में भरी आपकी शक्तिसे
हे गणेश, आप आवाज सुनो
मूक बह रहे अश्रुओं की ...
अपनी जिन्दगी को पल-पल घुटते देख,
अतुलनीय सहनशीलता के साथ,
आपकी कृपा की आसपरही जी रहे,
आपके आश्रित भक्तों की
हे गणेश, आप आवाज सुनो
मूक बह रहे अश्रुओं की ...
कहीं आपपर आस्था डगमगा न जाए,
कहीं विश्वास और धैर्य टूट न जाए,
कहीं आपका अस्तित्व केवल उत्सव के लिए न रह जाए,
हे गणेश, आप आवाज सुनो
मूक बह रहे अश्रुओं की ...
आँख बंद कर हाथ जोड़े हुए,
आपकी प्रार्थना में लीन,
मदान्धों के अत्याचार से ग्रसित,
आपके अज्ञात भक्तोंकी
हे गणेश, आप आवाज सुनो
मूक बह रहे अश्रुओं की ...
सर्वांतर्यामी अंतरात्मा आप,
सर्वशक्तिमान परमात्मा आप,
जगन्नियंता, जगत के चालक आप
अपने अज्ञात पीड़ित भक्तों की
हे गणेश, आप आवाज सुनो
मूक बह रहे अश्रुओं की ...
More Lord Ganesha Prayers and Posts from Narayankripa: