फूल, काव्य और प्रेम इनका एक अटूट रिश्ता है। आज का काव्य इन्हीं पर। कहानी ऐसी है कि प्रेमिका बरसों से दूर देस गए अपने प्रियतम को याद करती है। इन यादों में दुःख या उदासी नहीं हैं। विरह कभी कभी आनंद भी दे सकता है, खास कर तब जब यादों की महक महसूस हो।
अब भी आती है महक उन फूलों
की
जो तुम लाते थे हर रोज मेरे लिए
अभी तक संभालकर रखा है
उन्हें
जो फूल तुम लाते थे मेरे लिए
वो छोटे छोटे फूल रोज
प्यारीसी मुस्कान लाते थे
तुमसे रोज मिलने का बहाना होते थे मेरे लिए
फूलों की खुशबू जो हम दोनों
को भाती थी
वही तो हम दोनों को साथ लाती थी
उस महक से पागल होकर मैं
खुद को भूल गई
उन फूलों के लिए मैं दिल दे बैठी
क्या क्या नहीं करते थे तुम
मेरे लिए, मेरे प्यार के लिए
अब भी उन फूलों को ले बैठी हूँ तुम्हारे इंतजार
में
अभी भी
उन यादों की महक को दिल में लिए बैठी हूँ तुम्हारे इन्तजार में
तुम्हारे दिए फूल मुझे उदास
नहीं होने देते एक पल के लिए
तुम भी महसूस करते हो न मेरी यादों की महक अपने
प्यार को दिल में लिए
मुझे पता है फूलों को देखकर
मेरी ही याद आती होगी तुम्हें
उन फूलों की महक तुम चुराते होंगे मुझे देने के
लिए
तुम लौट आओ वापस उस महक को
लेकर
जिन्दगी
की महक और मैं इंतजार कर रहें हैं तुम्हारा ही नाम लेकर
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