नमन हे हिंदी भाषा

आज १४ सितम्बर हिंदी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है| आप सबको हार्दिक शुभकामनाएँ| हम सब यहाँ हिंदी की पूजा में जुड़ें हैं, आज माँ शारदा का रूप हिंदी भाषा को नमन| 

हिंदी में उर्दू का मिश्रण उचित नहीं| आज कल यह असंभव सा प्रतीत होता है, उर्दू बिना हिंदी| परन्तु हम प्रयत्न कर सकतें हैं| 

हर भाषा की अपनी गरिमा होती है| केवल उर्दू हो तो उसकी अपनी खूबसुरती  है|

हिंदी तो संस्कृत से निर्मित दैवी वाणी है|  

आप एक वाक्य उर्दू मिश्रण से, या अंग्रेजी मिश्रण से और वही वाक्य संपूर्ण हिंदी में उच्चारण करके देखिये| एक विनम्रता और शालीनता का अनुभव होता है, सम्पूर्ण हिंदी से| 


हमारी वाणी वातावरण में स्पंदन बनके प्रसृत होती है| इससे निसर्ग एवं हमारे जीवन पे भी असर होता है| संस्कृत स्तोत्र हमें समझ में नहीं आये तो भी उन्हें सुनने से अद्भुत शांति का अनुभव होता है, ह्रदय प्रेम से भर जाता है इसका कारण यही स्पंदन होतें हैं| इसलिए हर सम्भव प्रयास से शुद्ध हिंदी का प्रयोग करने की चेष्टा करें| हर दिन के साथ यह कठीन होता जा रहा है, और सरकार की ओर से सक्रीय प्रयत्न ना होने के कारण तो हमारे छोटे छोटे प्रयास अधूरे और सच कहूँ तो असफल होते दिखतें हैं. मैं स्वयं पूरी विशुद्ध हिंदी नहीं बोल सकती यह मेरी पीड़ा है. 


नमन हे हिंदी भाषा 
नमन हे राष्ट्रभाषा 
पवित्रता का आविष्कार तू 
प्रेम की है अभिव्यक्ति तू 
मर्यादा का बोध देती 
ज्ञान की है भाषा तू 
तू है जननी, तू है शारदा 
हे सरस्वती तू हिंदी भाषा 
नमन हे हिंदी भाषा 
नमन हे राष्ट्रभाषा 
कृपा करो मुझपर हे मात:
गुण तुम्हारे गाऊं सदा 
राष्ट्रप्रेम, हिंदी प्रेम 
ह्रदय में आये अब हे मात: 
ज्ञान है संभव तव कृपासे 
अध्यात्मबोध तव कृपासे 
संस्कृति का उज्जवल यश तुम  
मात: मेरी हिंदी भाषा 
प्रेम, सौहार्द, आदर बढे 
राष्ट्रप्रेम, परमार्थ बढे 
तव कृपासे, तव आशीष से 
ज्ञान हमारा सदैव बढे 
यही कृपा हमपे करो 
ज्ञानसे ह्रदय पवित्र करो 
यश तुम्हारा विश्वमे फैले 
तव आशीष से जीवन सफल बने 
यही प्रार्थना, यही नमन 
तव कृपा अविरत वर्षति रहे 
धन्य है जीवन हमारा 
भारत में हुआ जन्म हमारा 
तव ज्ञान, तव कृपा, तव आशीष 
यही है जीवन हमारा 
यही है जीवन हमारा 


टिप्पणियाँ

  1. सत्य है|शुद्ध हिंदी कर्णमधुर प्रतीत होता है|
    ह्रदय को अत्यंत आनद मिलता है|

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  2. खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है,
    स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम इसमें वर्जित
    है, पर हमने इसमें अंत में
    पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
    ..

    हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया है.
    .. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती है.
    ..
    Here is my blog post खरगोश

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चैतन्यपूजा मे आपके सुंदर और पवित्र शब्दपुष्प.