शायद प्रभात होने वाली है, सबसे प्रसन्न समय, बहुत ठण्ड है | यह वेला सबसे पवित्र मानी जाती है | हाँ यह है अमृत वेला .......मन में एक नयाही आनंद उठा | आपको बताये बिना मन रहा नहीं | वैसे पूजा तो प्रातः काल में ही होती है |
पूजा नयी, चैतन्य की
अभिव्यक्ति यह ह्रदय की
आभास नया, आकाश नया
सहसा हुआ प्रकाश नया
खिला खिला यह फूल नया
फैला यह आल्हाद नया
दिन नया, रात नयी
प्रभात की कली नयी
संशय नया, विषय नया
छूटा यह भ्रम नया
सूर्योदय एक नया
आनंद सौरभ फैला नया
पवित्रता हर ओर नयी
भाव यह कौनसा नया
ईश्वर का यह रूप नया
प्रकट यह विराट नया
काव्य बना दीप ज्ञान का
फैलाए प्रकाश नया
उर्जा नयी, विश्वास नया
जीतने का संकल्प नया
समक्ष है विश्व नया
बस जीतना अब काम तेरा
शांति नयी, तृप्ति नयी
अनुभूति यह ह्रदय में नयी
भाव : यह काव्य तो स्वयं मेरे लिए ही नया ज्ञान का दीप बना है |
आजकल कुछ अच्छा लगता है वह क्या है आगे देखेंगे ......
इस काव्य के पूर्व भाव कृपया यहाँ देखें -
Very nicely written...
जवाब देंहटाएंYou write very well!!
आरती बहुत बहुत धन्यवाद! लिखना क्या बस हृदय की बात है, आप सबको बात दी | आप भी हृदयसे पढते है तो और मन करता है बात करने का!
जवाब देंहटाएंVery nicely written...
जवाब देंहटाएंYou write very well!!