या उगेगा सुरज नया
जो भी हो हो कुछ नया
मिले सबको सब कुछ नया
और क्या मांगू तुझसे
हे भगवन!
मेरा तो जीवन बना नया
नया नया सा यह सवेरा
नया नया सा वह अँधेरा
नया नया सा कुछ नशा
भगवान के उस नामका
नया नया सा आकाश नया
नया नया सा कुछ प्रकाश नया
पुराना क्रोध अबसे नया
प्रेम पुराना सदाही नया
नया तो है फिर भी नया
क्या हुआ है यह
कुछ और नया
भविष्य नया, जीवन नया
मधुर यह संवाद नया
चाह नयी है, राह नयी है
मक़ाम यह कौनसा नया
मंझिल नयी रास्ते नयें
साथी वहि थोडा नया
जले यहाँ दीप नयें
प्रेम का आशिष नया
मोहिनी नयी राधा बनी
कृष्ण वही नहीं नया
कृष्ण फिरभी है नया
(पुराना क्रोध अबसे नया -भाव : पहले तो क्रोध अति था, परन्तु अब अन्याय और अधर्म के विरुद्ध यह क्रोध पुन: अभिव्यक्त होगा )
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