भीड़ में, तनहाई में
दिन में, रात में
ख्वाबो में, खयालों में
सवालों में, जवाबों में
ख़ामोशी में, बातों में
दिल के जज्बातों में
दिल देखता है सिर्फ उनको
दिल ढूंढता है सिर्फ उनको
जानता नहीं है क्यों?
जानता नहीं है कैसे?
दिल चाहता है सिर्फ उनको
दिल लिखता है सिर्फ उनको
सपने सजाता
कविता लिखता
खुदसे ही मुस्कुराता
ये दिल सोचता है सिर्फ उनको
ये दिल जानता है सिर्फ उनको
क्या हुआ है ये खुदको
और क्या है होना आगे
पूछता है पगला
तनहा बेचैनी में
दिल प्यार करता है सिर्फ उनको
ये दिल चाहता है सिर्फ उनको
दिल ही दिल में
खुदसे ही
ये दिल पुकारता है सिर्फ उनको
ये दिल पूजता है सिर्फ उनको
सिर्फ उनको
सिर्फ उनको
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