कभी कभी प्रश्नों के उत्तर कहीं न मिलें तो प्रश्नों को समय पर ही छोड़कर इंतजार करना, ये एकही उत्तर नजर आता है। ऐसेही कुछ उलझे पलों पर आजकी प्रस्तुति।
जानने में शायद कुछ समय लगे
मैं क्या हूँ, मैं कौन हूँ
पर जैसे जैसे जानोगे
यही पाओगे
कितने गहरे दोस्त हैं हम
हमेशा से ही
मैं क्या हूँ, मैं कौन हूँ
पर जैसे जैसे जानोगे
यही पाओगे
कितने गहरे दोस्त हैं हम
हमेशा से ही
दिल की बात मैंने बहुत बार कही
आओ अब समय को थोड़ा कहने देते हैं
आओ अब समय को थोड़ा कहने देते हैं
आओ समय को थोड़ा बहने देते हैं
आज खामोशी में जरा डूब लेते हैं
आज खामोशी में जरा डूब लेते हैं
आज सिर्फ एक दूसरे को महसूस करते हैं
आज एक दूसरे में ही डूब जाते हैं
आज एक दूसरे में ही डूब जाते हैं
अब शब्दों को थोड़ा विराम देते हैं
दिल की बेचैनी को थोड़ा सा आराम देते हैं
आओ थोड़ी देर ख़ामोशी में डूबते हैं
आओ आज सिर्फ एक दुसरे को महसूस करते हैं
आओ आज सिर्फ एक दुसरे को महसूस करते हैं
पिघलने देते हैं दो दिलों को जो ये आज चाहते हैं
महसूस करते हैं बेचैन सांसों को खामोशी में
महसूस करते हैं बेचैन सांसों को खामोशी में
कहने दो खामोशी को जो कहना है अपनी ही जुबान में
बहने दो आंसुओं को जो आज बहना है प्यार में
बहने दो आंसुओं को जो आज बहना है प्यार में
जो ये कविता कह सकती है
मैं नहीं कह सकती
कह पाती तो शायद समय का इंतजार ना होता
कह पाती तो शायद समय का इंतजार ना होता
अब समय को ही अनसुलझे सवालों का जवाब ढूँढने देते हैं
अब हमारे मधुर गीत को समय को ही पूरा करने देते हैं
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