आज की प्रस्तुति मेरे लिए बहुत ही खास और दिल के करीब है। कुछ दिनों पहले नर्व पाल्सी से आँख ग्रस्त हुई थी। एक ही दिन में ऐसे लगा कि दुनिया उजड गई, क्योंकि उस समय न लिखना संभव था न पढना। तब सोचा जब तक ठीक नहीं होती तब तक कविता कहाँ लिखकर रखूं। तब मैंने कुछ कविताएं रिकॉर्ड करके रखी थी।
उन पलों में ठीक होने की उम्मीद नहीं थी। एक तरफ तो निराशा, दुःख और एक तरफ दिल की आवाज। दिल तो कभी चुप नहीं बैठ सकता। ईश्वर की कृपा है कि आज मैं ठीक हूँ और फिरसे लिख रही हूँ। ये कविताएं बहुत बहुत खास है। आज आप आवाज से ये महसूस कर सकते हैं कि एक कवी का दिल कैसे होता है, जिंदगी में जो भी हो दिल वैसेही मासूम, प्यार में डूबा हुआ, कुछ गहरा सोचनेवाला, बच्चे जैसा हठी, किसी की ना माननेवाला, जिद्दी, अपनी कल्पनाओं के चित्र बनानेवाला, भावनाओं के रंग बिखेरनेवाला। कला, प्यार, इश्क सब अद्भुत है। हमारी समझ से परे!
"टूटकर भी ना टूटे
हर मुश्किल में भी खिलता रहे
वही तो मेरा दिल है"
पाल्सी के दुर्भाग्यपूर्ण अनुभव के साथ ही मेरे मन में एक प्रश्न उठा था, "भावनाएं कहाँ से उठती है, दिलसे, दिमागसे या आँखोंसे?"
प्रेम की कोई परिभाषा नहीं हो सकती यही बात सच है। इश्क इबादत है, ये शरीर और मन से परे आत्मा का साकार रूप होता है। शरीर या मनकी विचलित अवस्था अन्तःस्थ प्रेम को बदल नहीं सकती।
पंक्तियां मनमें आई वैसे ही रिकॉर्ड की, कोई एडिटिंग नहीं की। आवाज में स्वाभाविक उठनेवाले भावनाओं के आन्दोलन, प्यार, दुःख, ख़ुशी ये सब उस दिन की विशिष्ट स्थिति के कारण इनमें आये हैं।
ये तोहफा आपको कैसा लगा मुझे जरूर बताएं।
तुमसे बात:
जज्बा:
उलझन:
कश्मकश:
ख़ामोशी:
अल्फाज:
उनसे इजहार:
PS: कविताओं के भाव सिर्फ और सिर्फ भाव ही हैं। कविताओं में आनेवाले 'मैं' 'तुम' या 'वो' सिर्फ उन भावों के ही कुछ रूप हैं, वास्तविक मैं नहीं।
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चैतन्यपूजा ट्विटर पर: @Chaitanyapuja_