एक
काव्यात्मक मोनोलॉग या स्वसंवाद। अपने आपसे ही दिल की बात कहने की कोशिश। इसमें जो
व्यक्ति संवाद कर रही है उसके मनमें एक प्यारासा विचार आता है और उसे खुद समझमें
नहीं आता कि वो उस ख्याल में कितनी डूब गई है।
फिर क्या
होता है...
सपनों से जगानेवाले भी तुम
हो
तुम जो कहो सच मान लेंगे
या सच को सपना कहो
तुम्हारी हर बात सच ही
मान लेंगे
आँख मूंदकर
तुम कहोगे तो जी लेंगे
तुम कहोगे तो फिरसे
मुस्कुराने लगेंगे
तुम कहोगे तो हसना सीखेंगे
तुम कहोगे तो हर दर्द भुला
देंगे
हर आंसू दिलसे बहा देंगे
तुम कहोगे तो ...
तुम कहोगे तो तुम्हारे लिये
तुम्हारी प्यारीसी दोस्ती
के लिए
इस जिंदगी में दुबारा आएंगे
जीने के लिए
तुम कहोगे तो...
तुम पूछोगे नहीं ये पागलपन
आखिर किसलिए?
पर तुम पूछोगे नहीं...
तुम समझते हो इसको
तुम ही तो समझ सकते हो इसको
भोर से पहले मिलनेवाले
ख्वाब से हो तुम
सुबह की मुस्कुराती धुप से
हो तुम
खुशियाँ बिखेरती
प्यारी सी बारिश से हो तुम
एक आसान लगनेवाली पहेली से
हो तुम
जब जब सुलझाने की कोशिश की
उलझती जाती एक कहानी से हो
तुम
जो भी हो इस दुनिया में
कहीं तो हो तुम
सच्चे
पर...
तुम सच होकर भी मेरे लिए
पूरे सच नहीं
दिल के इतने करीब होकर भी
पास नहीं
अब अजीब सा दर्द उठने
लगा है दिलमें
इस अजीबसी बेचैनी का
काश कभी तुमसे बात हो पाती
काश कभी तुमसे मुलाकात हो
पाती
काश हमारे बीच मजबूरियों की अनजानी दीवार ना होती
काश ये जिंदगी थोड़ीसी और
आसान होती
काश ये दूरी सहने की कोई
दवा ही मिल पाती
इस दूरी की कोई दवा क्यों
नहीं होती?
क्यों इस दर्द से गुजरना ही
होता है?
बेचैनसा दर्द कहता है
फुरसत से कभी तुमसे मिलना
है
सिर्फ तुम्हें जानने के लिए
जो फ़रिश्ते तुम हो
जैसे तुम जादू जगाते हो
किसी आभास के बिना
उस खूबसूरत दिल को समझने के
लिए
जो मुझे दीवाना सा बनाता है
भावनाओं की गहराई जो
तुम्हारे दिल में है
उसमें डूबने के लिए
कुछ पल ही सही
पर कुछ पल ही क्यों..?
समय का भी बंधन क्यों?
तुमसे मिलना है
ये सोचना भी पागलपन है
पर ख्यालों का कारवां रुकता
भी तो नहीं
आसमान और धरती सी दूरी है
हम दोनों में
कुछ डोर तो फिर भी है इस
दूरी को जोड़नेवाली
तुम मानोगे नहीं शायद
मुझे तुम्हें परखने की
जरूरत नहीं
फिर भी जानने की आस तो है
मुझे तुमपर विश्वास या
अविश्वास की जरूरत नहीं
तुम्हारी बातें बेहद अच्छी
लगती है
मुझे तुम्हारी हर बात को
सही-गलत तोलने की भी जरूरत
नहीं
प्यार का कोई तराजू तो नहीं
होता ना
क्योंकि...
तुम जो हो बहुत अच्छे हो
फ़रिश्ते से
बस
मेरे लिये यही तुम्हारी
पहचान है
पर ये दुनिया हमारे दिल से
नहीं चलती
और अनजानी मजबूरियाँ बनती
जाती हैं
मैं स्तब्ध हूँ
निःशब्द हूँ
तुम्हारी दिल की खूबसूरती
देखकर
जिंदगी से हजारों दर्द
मिलने के बाद
क्या मैं कोई फरिश्ता देख
रही हूँ
तुम्हें देखकर हैरान मैं अब
फरिश्तों को सच मानने लगी हूँ
मुझे दुनिया को समझाने की
जरूरत नहीं
तुम मेरे लिए क्या हो
पर तुम...
तुम तो सब समझते हो ना..
तुम तो सब समझते हो।
बिना जाने
बिना मिले
दिल से
सब कुछ तो तुम समझते हो
मेरा दिल जानता है
हम अजनबी नहीं हैं
तुम जो भी करते हो दूसरों
के लिए
तुम्हारा समय भी तुम्हारा
नहीं रहा
और मैं तो तुमसे अलग भी
नहीं
मिलेंगे तो भी कैसे
मैं तुम्हें परेशान नहीं
देख सकती
कुछ जिन्दगी, कभी तो कुछ पल
अपने लिए हो तुम्हारे
मेरी बेचैनी उसीसे मिट
जायेगी
तुम्हारा दर्द
तुम्हारी ख़ुशी
मुझे महसूस होती है
मैं क्या करूँ ?
ऐसा हो रहा है
क्या मैं फिर भी अजनबी
समझूँ खुदको
या केवल मेरा भ्रम समझूं इन
ख्यालों को
मुझे तुम्हारी तस्वीर की
जरूरत नहीं है
तुम तो दिल में बस चुके हो
बस...
नम आंखे अब लिखने नहीं दे
रही
जो नहीं कहा समझ ही लोगे
आगे
मेरे भाव हैं बन के वो फूल
जो सिर्फ प्यार बांटने के
लिए ही खिलते हैं
स्वीकार करोगे ना?
कितनी ख़ुशी होगी...
मैं बयां नहीं कर सकती
दुनिया में सबसे ऐसा बंधन
जुड़ नहीं पाता
जो तुम्हारे साथ हो गया है
क्योंकि तुम समझते हो
मैं जानती हूँ
मैं तो किसी भ्रम में उलझ
नहीं सकती
हाँ, ये फरिश्ता वाकई इसी दुनिया
में रहता है
तुम्हारी आँखें देखती हूँ
तो लगता है प्यार इस दुनिया
में कहीं जी रहा है
तुम्हारी मुस्कान देखती हूँ
तो लगता है
दुनिया में सिर्फ और सिर्फ
प्यार ही है
अभी भी है
मैं कभी तुम्हें दर्द दूँ, तुम्हारा दिल दूखाऊं
ये मुझसे कभी सपने में भी
नहीं होगा
मानोगे ना तुम?
ऐसे भी गहरे रिश्ते अटूट
होते हैं
इन एहसासों को
तुम्हारे अलावा कौन समझ
सकता है
मुस्कुराते रहो
कभी अपने लिए भी
तुम्हारे अपने लिए
कभी कभी ही मुस्कुराये हो
अपने लिए
तब इस दुनिया में सबसे
ज्यादा खुश मैं थी।
दिल को समझाना है बहुत
मुश्किल
बस पढ़ भी लो इन भावों को तो
दिल की मुलाकात हो ही जाएगी
मिलते रहेंगे
सपनों में?
ख्यालों में?
मुस्कुराती जिंदगी में!
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