पठानकोट
हमले के बाद आतंकियों को मार गिराने की घोषणा हुई, बधाइयों का दौर हुआ और तीन जनवरी को माननीय प्रधानमंत्री एक कार्यक्रम
में तुलसी के पौधे को पानी अर्पित करते और योग पर भाषण देते दिखे। पठानकोट ऑपरेशन
तब तक समाप्त नहीं हुआ था, इसलिए ये भाषण आलोचना का विषय हुआ। इससे पठानकोट ऑपरेशन की वास्तविक स्थिती
की जानकारी सरकार के पास थी या नहीं ऐसा प्रश्न उठता है। इस घटना ने सुरक्षा
संस्थाएं और सरकार के बीच समन्वय का अभाव स्पष्ट रूपसे दिखा दिया।
आज
का दौर ऐसा है कि प्रश्न उठाना लोगों को स्वीकार नहीं होता। पर आज जब राष्ट्र की
सुरक्षा का विषय है, क्या तब भी किसीने प्रश्न नहीं पूछना
चाहिए? कुछ लोगों का कहना था कि ये समय राष्ट्रीय
एकता का है और सवाल पूछना शायद संकीर्णता। लोग सवाल पूछे ना पूछे अंतरराष्ट्रीय
स्तर पर भारत की सुरक्षा के बारे में, आतंकी
हमले से निपटने में तुरंत,
आवश्यक और योग्य
निर्णय का अभाव तो दिख ही गया।
ऐसे
आतंकी हमलों से कोई व्यथित ना हो, सरकार
से प्रश्न ना पूछे, जरा भी आलोचना ना हो, ऐसा कुछ दृश्य हमलों
के बाद नजर आ रहा है। किसी भी राष्ट्र के लिए, राष्ट्र से भी ऊपर, अपने
पसंद के राजनैतिक दल पर या नेता पर संकट की घड़ी में अंधनिष्ठा का होना, बड़ा
चिंता का विषय होना चाहिए.
आज
की कविता मेरी, एक सामान्य भारतीय की व्यथा है,
सिर्फ
तुलसी
का पूजन
आपका
योग पर प्रवचन
सब
अच्छा लगता
अगर
आप प्रधानमंत्री नहीं होते
सिर्फ
आपके
बड़े बड़े भाषण
आपके
सपनों जैसे वादे
अच्छे
भी लगते
अगर
आप प्रधानमंत्री नहीं होते
सिर्फ
आपकी
दोस्ती के किस्से
आपका
सेल्फी का दीवानापन
अच्छा
भी लगता लोगों को
अगर
आप प्रधानमंत्री नहीं होते
सिर्फ
दुनिया
के हर देश में घूमना
नाच
गाने देखकर फिर से भाषण देना
अच्छा
लगता बिलकुल
आलोचना
भी नहीं होती
अगर
आप प्रधानमंत्री नहीं होते
सिर्फ
आपका
फैशन
आपका
स्टाइल
आपका
अपने आपका ब्राण्डिंग
अच्छा
भी लगता शायद
अगर
आप प्रधानमंत्री नहीं होते
आपका
पत्रकारों के साथ सेल्फी लेना
पत्रकारों
को अपना भाषण सुनाना
इतना
बुरा भी नहीं लगता
अगर
आप प्रधानमंत्री नहीं होते
छोटे
छोटे चुनावों के लिए
बडी रैलियां करना
अपनी
पार्टी को जिताने के लिए
जी
तोड़ मेहेनत करना
सब
प्रशंसनीय लगता
अगर
आप अब प्रधानमंत्री नहीं होते
रेडियो
पर सिर्फ
अपने
‘मन की बात’ करना
अनावश्यक
बातें करते ही रहना
अच्छा
भी लगता शायद
अगर
आप प्रधानमंत्री नहीं होते
समाचार
तो आपके बननेवाले ही थे
फोटो
तो आपकी ही आती रहती
चर्चा
तो सब आपकी कर ही रहे थे
लोगों
ने सारे राष्ट्र की जिम्मेदारी आपको सौपीं थी
आप
तो प्रधानमंत्री हैं
ख़बरें
तो वैसे भी बनती ....
आलोचना
आज इस कदर नहीं होती
अगर
आप नहीं भूलते
आप
इस राष्ट्र के प्रधानमंत्री हैं
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