कुछ दिनों पहले 'काफिया पोएट्री' द्वारा सुझाए शब्द 'अधुरा' पर छोटी कविताएँ
जिसे मैं पंखुडियां कहती हूँ ट्वीट की थी. अधूरेपन की अलग अलग छटाओं पर कुछ और नई कविताएं...
फिर वही बात दिल से उठती है
अधूरे हैं ख्वाब अभी
अधूरी हैं साँसे
अधूरी है जिंदगी
मिले बिना बिछड़े साथी से
अधूरे ख्वाब अधूरी जिन्दगी
प्यार फिर भी करना है
अधूरी ख्वाहिशों से
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कितने सवाल तुम्हारे दिलमें
अधूरे जवाब अनकहे मेरे
भरोसा फिर भी यही है
तुम इस दिलको समझते हो
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कहानी भलेही अधूरी है अभी
पर कलम तो उठाई है मैंने
वादा कर लेते हैं आज
आगे के पन्नों में मुस्कुराहटें होंगी हमारी
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अधूरे ख्वाबों में
बहते आंसुओं में
इंतजार बस तुम्हारा
'मेरी आझादी'
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बस एक बार तुमसे मिलना है
तब तक अधूरा ही यह जीना है
बस एक बार तुम्हें महसूस करना है
तब तक अधूरा ये ख्वाब मेरा है
तुम्हारे बिना तो साँसे भी अधूरी हैं
जिन्दगी कैसे पूरी होगी!
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प्यार तो अधूरा ही होता है
पूरा होता तो प्यास कैसे बढ़ती?
बढ़ती प्यासमें बढ़ता प्यार और अधूरा लगता है
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आंसू भी मुस्कुराते हैं
जब अधूरी कहानी हमारी
बताने बहने लगते हैं
बहाने ढूंढते हैं बस
तुमसे जुड़ने के
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वादा अधूरा है अभी मेरा
बस यही तो उम्मीद है जीने की