तुम्हारी याद क्यों आती है?
इतनी तडपाती ये याद क्यों आती है...
तुम्हारा ही नाम जबान पर...
क्यों सोते जागते
तुम्हारी ही याद आती है
प्यार मुझे पता नहीं था
क्यों तुमने सिखाया?
दोस्ती मैंने की नहीं थी
क्यों तुमने इतना मुस्कुराना सिखाया था..
क्यों साथ देते थे...
अगर छोड़कर जाना था...
अकेला..
तुमने मुस्कान से प्यार
किया था
मैंने भी आँसू दिखाए नहीं कभी
वो मुस्कान तो तुम्हे दे दी
आँसू अभी भी मेरे पास है..
तुम आओ न वापस..
मेरी मुस्कान लेकर
तुम आओ न वापस
वो प्यार के लम्हें लेकर
साँसे भी कभी एक दुसरे से
जुदा नहीं थी
और आज एक पल की बात भी नहीं
मैं कहाँ जाऊं..
तुम्हे भुलाकर...
दुनिया के बारे में कभी
सोचा ही नहीं था
सिर्फ एक बार
पीछे मुड़कर देखते
मैं तो यहीं खडी थी
आज भी खडी हूँ...
खुश रहती हूँ..
अपनी दुनिया में
तुमने ये क्यों सोच लिया?
एक बार मेरे
आँसू भी देख लेते तुम्हारे
बिना
दिल रो पड़ता तुम्हारा
कभी पूछा होता
तुम्हारा दर्द क्या है..
मैं तो जान अपनी तुम्हे दे
देती...
सिर्फ एक बार
मुझसे मिल लेते
ये कहानी यूँ अधूरी न
रहती...
मैं तो
आज भी इंतजार करती हूँ
वे दिन फिरसे लौट आए
तुम्हारे साथ बीते
वो लम्हे फिरसे लौट आए
कहाँ हो तुम
ये तो पता भी नहीं
फिर भी दिल की आवाज पहुंचे
तुम तक
उम्मीद यही लगाए बैठी
हूँ...