स्वामी विवेकानंदजी की १५१ वी जयंती की सबको हार्दिक
शुभकामनाएँ!
स्वामीजी की जयन्ती राष्ट्रीय युवा दिन के रूप में मनायी जाती है।
स्वामीजीके
जीवन पर चिंतन करके कुछ लिखने लगे तो हमारा यह जीवन भी कम पड़ेगा। फिरभी स्वामीजीके
जीवनामृतसे कुछ अमृत कण आज एक स्तोत्र के रूप में स्वामीजी को समर्पित हैं। काव्य की प्रत्येक पंक्ति के पहले अक्षरसे ‘स्वामी
विवेकनंदाय नमन’ ऐसी काव्यमाला यहाँ पिरोई गई है, जिसमें स्वामीजी के जीवन और कार्य
का अमृत भरा हुआ है।
स्वार्थ निरत विश्वको उपदेश देने नि:स्वार्थ सेवाका
मीलन पूर्व – पश्चिमका करने ज्ञानयोगी जन्मा
विवेकसागर ऋषी यह आधुनिक भारतका
वेदांतप्रकाश सहज बनाके इसने हर जीवनमें फैलाया
कारण यह अज्ञानतम भेदके ज्ञानगभस्ती उदय करने
नंदनंदन कृष्ण जैसे कलियुगमें अवतरा
दायक जो सकल अभीष्ट अद्वैत ज्ञानकुंभका
यह शीतल मधुर ज्ञानप्रकाशका तापहीन सूर्य बना
न जाने जो भेदाभेद अमंगल विश्वमें फैले हुए
मत पंथ भिन्न भिन्न इसने अद्वैतसे एक किए
नमन स्वामी विवेकानन्दको आज यह पूर्ण हुआ
ट्विटर: @Chaitanyapuja_
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