बहुत दिनों से आपसे ना मिलने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ। स्वास्थ्य कुछ ठीक नहीं था।
आज का गीत इस वर्ष की प्रथम वर्षा को समर्पित है। आज अचानक से बदल घिर आये, काले काले , कृष्ण जैसे और वर्षा होने लगी । मन में वर्षा हुई काव्य की और प्रेम की कृष्णप्रेम की ।
इसी प्रेम की माधुरी से भरा यह गीत । आशा है आपको अवश्य अच्छा लगेगा ।
आज का गीत इस वर्ष की प्रथम वर्षा को समर्पित है। आज अचानक से बदल घिर आये, काले काले , कृष्ण जैसे और वर्षा होने लगी । मन में वर्षा हुई काव्य की और प्रेम की कृष्णप्रेम की ।
इसी प्रेम की माधुरी से भरा यह गीत । आशा है आपको अवश्य अच्छा लगेगा ।
घर से ली हुई प्रतिमा ।
बूंदोंने संगीत नया
गाया
मधुर मिलन का गीत
कान्हा ने आज फिर
गाया
काव्य ऐसा, संगीत
ऐसा
नृत्य वृक्षोंने नया
रचाया
प्रथम वर्षा .......
बिजली बोले, सुन रे मनवा
प्यासी धरतीसे मिलन फिर हुआ
पंछी बोले, सुन रे मितवा
पंख आज भीगे,
प्रथम वर्षा .......
बिजली बोले, सुन रे मनवा
प्यासी धरतीसे मिलन फिर हुआ
पंछी बोले, सुन रे मितवा
पंख आज भीगे,
मन खुशीमें नहाया..
प्रथम वर्षा.....
हँसते हँसते पर्ण बोलें
हँसते हँसते पर्ण बोलें
गीत कौनसा आज
फिर कान्हाने सुनाया
नदियाँ बोली, सुन री
सहेली
कृष्ण बादलसे कान्हा फिर आया
प्रथम वर्षा ....
खिलखिलाई यह धरती
खिलखिलाया यह आसमां
कृष्ण बादलसे कान्हा फिर आया
प्रथम वर्षा ....
खिलखिलाई यह धरती
खिलखिलाया यह आसमां
बूंदों के शोरसे
जहाँ यह
खिलखिलाया...
प्रथम वर्षा मन यह हर्षाया....
खिलखिलाया...
प्रथम वर्षा मन यह हर्षाया....
प्रथम वर्षा मन यह
हरषा
apratim
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट,,,,,,,,,
जवाब देंहटाएं