आज की प्रस्तुति मन के खिलते उमलते दिव्य भाव हैं, जो सत्य सनातन ग्रंथोंमें वर्णित है की ईश्वर सर्वव्यापी है उसीकी एक सुन्दर अभिव्यक्ति....
आज खिलता हुआ मन, मनसे परे ईश्वर में मिला गया और बस इन दिव्य भावों को बोल उठा.......
एक दिव्य आनंद सब ओर छा गया .....
आज मैंने ईश्वर देखा
खिलती कलिमे मेरा
ईश्वर देखा
मुस्कुराते फूलमें देखा
हसते हुए कमल में देखा
आज मैंने ईश्वर देखा
उड़ते हुए पंछीमें देखा
बहते हुए झरने में देखा
आज मैंने ईश्वर देखा
नीले नीले गगन में देखा
ईश्वर के इस भवन में देखा
आज मैंने ईश्वर देखा
भारत की इस मिटटी में देखा
इसके प्रेम के स्पर्श में देखा
राष्ट्रमें, राष्ट्रप्रेम में
आज मैंने ईश्वर देखा
छोटीसी एक चिड़िया में देखा
एक भोले बच्चे में देखा
आज मैंने ईश्वर देखा
आज मैंने ईश्वर देखा
आज मैंने राघव देखा
उगते हुए सूरज में देखा
ज्ञान देती पुस्तक में देखा
आज मैंने ईश्वर देखा
हर ओर बस ईश्वर देखा
बहती हवा के स्पर्श में देखा
पत्तों की उस हलचल में देखा
रात में चमकते तारोंमें देखा
शीतल से चंदा में देखा
आज मैंने ईश्वर देखा
सपनों में देखा, बातों में देखा
हर दोस्त में, हर पल में
आज मैंने ईश्वर देखा
कैसे हुआ यह चमत्कार
कैसे मिटा अज्ञान का अंधकार
जो भी हुआ, जैसे भी हुआ
आज मैंने ईश्वर देखा
हर पल में महसूस किया
आज मैंने ईश्वर देखा
ऐसी दिखी पवित्रता हर ओर
छा गयी एक दिव्यता सब ओर
हर क्षण, हर ओर
ईश्वर का दिव्य दर्शन देखा
मुझे पता नहीं था ज्ञान
प्रेम से भी थी अनजान
फिर भी यह चमत्कार कैसा हुआ
कि
आज मैंने ईश्वर देखा
सब ओर छाया ईश्वर देखा
निराकार साकार हर भेद मिटाता
सर्वव्यापी ईश्वर देखा
आज मैंने ईश्वर देखा
आज मैंने ईश्वर देखा