प्रजासत्ताक दिन की आप सब को हार्दिक बधाइयाँ ! क्षमा किजीये, परंतु मुझे य नही समज मे आ रहा की मै किस लिए यह बोल रही हूँ , बस इस दिन सब ऐसा करतें हैं इसलिए ? जो भी कारन हो, परन्तु मेरा मन आज आनंदित नहीं हैं और मनमे अनेकानेक प्रश्न उठ रहें हैं .........
स्वतंत्रता यह है कैसी
सत्ता प्रजा की है कौनसी
धर्मान्धतासे लड़ने की नाम पे
धर्मनिरपेक्षताकी हिंसा यह कैसी
रामसे द्वेष बनके शिष्य गान्धिके
अहिंसा के आड़ में हिंसा यह कैसी
सैन्य के प्राण जहाँ शत्रुओंको
दिए जाते हैं दान में
दानवीरता यह आधुनिक
भारतमे आज कैसी ?
जनता है खिलौना केवल
प्रजासत्ताक यह भूमि कैसी
आपको ही अब है खड़े होना
आवाज बुलंद है अब करना
हम नहीं हैं कमजोर
हम नहीं है नपुंसक
क्यों नहीं दिखाते
विश्वको स्वरूप अपना
रोका है आपको किसने
विचारोंको आपको है बदलना
आग है ह्रदयमें, बाजुओमे दम हैं
हार के फिर भी बैठे आज क्यों हम हैं
उठो मेरे वीर सपूतो
भारत माँ पुकार रही है
उठो मेरे वीर सपूतों
भारत माँ पुकार रही हैं .........
बस इसके आगे कुछ नहीं लिखा जा रहा, हम देश की लिए बोल रहें हैं , हिंदुत्व के लिए नहीं, आज देशभक्ति भी अपराध हो गया हैं, मन बहुत व्यथित है | हम हमारे देश के लिए, अपना प्रेम भी अभिव्यक्त नहीं कर सकते और नाटक करतें हैं प्रजासत्ताक होने का ? ...............आज कुछ नहीं लिखा जा रहा ...........
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बहुत सुंदर मन मे राष्ट्रभक्ती,शौर्य जगानेवाली कविता |
जवाब देंहटाएंbeautiful poem
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एस एम! चैतन्यपूजा मे आपका हार्दिक स्वागत | बहुत बहुत धन्यवाद आपका इस सुंदर शब्द पुष्प के लिये| आपको यह काव्य प्रेरणास्पद लगा यह सुनके अतिशय आनंद हुआ| ऐसाही सहयोग और प्रोत्साहन देते रहियेगा|
जवाब देंहटाएं@दादा राष्ट्रभक्ती और शौर्य तो आपने मेरे मनमे जगाया है| उसीकी यह अभिव्यक्ती|
जवाब देंहटाएंbeautiful poem
जवाब देंहटाएंinspirational